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श्री राम सेना

श्री राम सेना के अंतर्गत एक संप्रदाय

महिला मातृ शक्ति पंथ - हर महिला सदस्य बन सकती है। हर जिले में एक महिला अध्यक्ष नियुक्त की जाएगी.

युवा शक्ति पंथ- युवा की आयु सीमा 18 से 25 वर्ष होगी। हर जिले में एक युवा अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा.

श्री राम सेना के आगामी कार्यक्रम

सनातन धर्म की रक्षा - मंदिर निर्माण, ऐतिहासिक धरोहरों का जीर्णोद्धार, सनातन धर्म का प्रचार, हिंदू राष्ट्र की मांग,

हिंदू जागरूकता अभियान - श्री राम धुन, हनुमान चालीसा पाठ, देश और विदेश में होने वाली घटनाओं के समाचार,

हिंदू एकता अभियान - सदस्य निर्माण, रैली का आयोजन, हर घर राम घर यात्रा, नुक्कड़ सभा, नाटक का आयोजन।

हिंदू स्वरोजगार अभियान - गृह उद्योग, सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना, रोजगार उपलब्ध कराना।

मूंग पशु संरक्षण एवं उपचार लाभ - पशु हेल्पलाइन, पशु चिकित्सक से संपर्क, डायरा या भजन संध्या

छात्र शिक्षा लाभ - फीस का भुगतान, नोटबुक का वितरण, डायरा या भजन संध्या का आयोजन, चैरिटी शो करना।

श्री कैलाशनाथजी सिंघल (बाबूजी)

श्री राम सेना के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष

परिचय पत्र

नाम : कैलाश नाथ सिंघल

जन्म तिथि : ०७ अगस्त १९७६

पिता : स्व. श्री. लल्लू पसद सिंघल, (पूर्व जमींदार बुकलाना)

शैक्षणिक : स्नातक (एल.एल.बी.)

स्थाई पता : बी - १७९, गौर, सिटी - १, १ अवेन्यू , ग्रेटर नोएडा बेस्ट, जिला गौतम बुद्ध नगर

अस्थाई पता : गजरौला, जिला अमरोहा

सम्पर्क सुत्र : ९२६६८ ८९१३८, ७२९०० ३९६८५

१. देश के अन्दर सनातन धर्म के हिन्दू मन्दिरों का पुन : निर्माण कराने का कार्य |

२. देश के अन्दर सनातन धर्म के हिन्दू मन्दिरों का नव निर्माण का कार्य जिससे सनातन धर्म को बचाया जा सके और सनातन धर्म के प्रति सनातनियो में जाग्रति पैदा हो |

३. देश के अन्दर कहीं भी किसी भी राज्य में राज्य के जिलों में नगरों में कस्बों में गाँवो में या अन्य किसी भी स्थान पर मंदिर जिर्ण शीर्ण मंदिर नष्ट हुए पड़े है | उनका पुन : निर्माण करने का कार्य करना | जैसे पूर्ण : खण्डित हुई मूर्ति को धार्मिक अनुष्ठान कराकर नई अथवा पुरानी मूर्ति को पुन : स्थापित करना अथवा कराना |

४. और यही उपरोक्त कार्य विदेशो में भी जहां - जहां सनातन धर्म के अनुयायी रहते है उनको सनातन धर्म के प्रति श्रष्ठावान बनाने के लिए बने रहने देने के लिये नव मंदिर का निर्माण कार्य करना अथवा वहां कोई पुराना जिर्ण शीर्ण मंदिर है तो उसका पुन : निर्माण कराना का कार्य करना |

५. मन्दिर का निर्माण कार्य कराकर मन्दिर में पूजा पद्धति को शुचारु रुप से चलाने हेतु धार्मिक अनुष्ठान हेतु पुजारी को मंदिर में रखना |

६. यह की मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट द्वारा स्थानिय समिति का गठन करना जो मंदिर को सुचारु रुप से देख भल करेगी, और मंदिर में नियमित रुप से भजन कीर्तन पूजा पाठ का कार्य करेगी |

७. यह की मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट देश में या विदेश में जिस भी मंदिर का जीर्णोद्धार पुन : निर्माण का कार्य करेगा उस मंदिर का स्थानीय कमेंटी में सरक्षक का दायित्व के रुप में हमेशा रहेगा जिससे स्थानिय कमिटी में कोई विवाद ना हो और मन्दिर के हितार्थ स्थानिय कमेटी कार्य करती रहेगी |

८. यह कि मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट को अधिकार होगा समिति के रुप में किसी भी परिस्थिति में कहीं भी देश में अगर जिस मंदिर का जीर्णोद्धार ट्रस्ट द्वारा किया गया है उस मंदिर की स्थानीय समिति में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो, और सुलह नहीं हो तो समिति को भांग करके पुन : पुरानी समिति बनाने का अधिकार मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट का सरक्षंक होने के नाते होगा |

९. यह कि स्थानीय समिति जो मंदिर के लिए जहां भी बनाई जाएगी देश के अन्दर अथवा विदेश में मंदिर के पुजारी अथवा पूजा या करने में धार्मिक अनुष्ठान करने में जो दैनिक खर्चा होगा वहां की स्थानित समिति को करना होगा |

ट्रस्ट के उद्देश्य

१. १८ साल की आयु का कोई भी सनातन धर्मावली, श्रद्धालु व गौसेवक बिना किसी लिंग / जाति के भेदभाव के इस ट्रस्ट का सदस्य हो शकता है |

२. ट्रस्ट कार्य क्षेत्र में निवास करता हो |

३. पागल या दिवालिया न हो |

४. इस ट्रस्ट को उद्देश्य पर आस्था व् रूचि रखता हो |

५. इस ट्रस्ट के उद्देश्यो को सर्वोपरि समझता हो |

सदस्यता :- निम्नलिखित योग्यता रखने वाले व्यक्ति प्रबंध कार्यकारिणी के विवेकाधिकार पर इस ट्रस्ट के सदस्य बन सकेंगे |

सदस्यों का वर्गिकरण

सदस्य निम्नप्रकार वर्गिकरण होंगे

१. आजीवन सदस्य

२. साधारण सदस्य

३. विशिष्ठ सदस्य

ट्रस्ट के विधान में परिवर्तन :-

ट्रस्ट के विधान में आवश्यकतानुसार प्रबंध कार्यकारिणी के कुल सदस्यों २/३ बहुमत से परिवर्तन / परिवर्धन एवं संशोधन किया जा सकेगा |

ट्रस्ट के लेखा जोखा का निरीक्षण :-

ट्रस्ट द्वारा नामित चार्टेड एकाउंटेंट से कराया जायेगा और उनके द्वारा दिये गए सुझावो की पूर्ति की जायेगी |

ट्रस्ट की संपति :-

यह ट्रस्ट ५१००/- रुपये से कायम किया जा रहा है | वर्तमान में ट्रस्ट के पास कोई चल अचल संपति नहीं है तथा वर्तमान ट्रस्ट का कार्यालय भी ट्रस्ट की संपति नहीं है |

सदस्यों द्वारा प्रदत्त अंशदान :-

चूंकि की ट्रस्ट की आय को स्थायी स्त्रोत नहीं है | अत: ट्रस्ट के सदस्य निम्न वार्षिक अंशदान देंगे जिससे ट्रस्ट के विधान निहित उद्देश्यों को कार्यन्वित करने में सहायता मिलेगी |

१. आजीवन सदस्य :- प्रन्यासी सदस्य जो ट्रस्ट डाक्टर, वकील, राजनैतिक व्यक्ति, वरिस्थ नागरिक या वे सदस्य जिनके ट्रस्ट को आवस्यकता है तथा जो पूर्ण मनोयोग से ट्रस्ट के उड़ेस्यों हेतु कार्य करेगे व यथासक्ति दान करेगे वे एस ट्रस्ट के आजीवन सदस्य कहलाएगे |

२. साघरन सदस्य :- प्रन्यासी सदस्य जो ट्रस्ट को समय-समय पर वार्षिक अंशदान करेगे वे ट्रस्ट के साधारण सदस्य कहलाएगे

३. विशिष्ट सदस्य :- प्रन्यासी सदस्य. जो सरकार द्वारा सम्मानित एव उपाधि प्राप्त (विद्वान, इजीनियर, डाक्टर, सी.ए., एडवोकेट, जन प्र्तिनिधि ) जिनकी इस ट्रस्ट को आवस्यकता है | सज्जन विशिस्ट सदस्य कहलाएगे तथा वह वार्षिक अंसदान से मुक्त होगे | उनका द्वारा स्वेच्छा से दिया गया सहयोग चंद, दान, ट्रस्ट को स्वीकार होगा तथा वह कार्यकरेणी के चूनाव मै मत व भाग लेने के लीए अधिकृता नहीं होगे |

a statue of a hindu god surrounded by flowers
a statue of a hindu god surrounded by flowers

इतिहास

राम जन्मभूमि विवाद का संक्षिप्त इतिहास इस प्रकार से है:[2]

  • १५२८ में राम जन्म भूमि पर मस्जिद बनाई गई थी। रामायण और हिन्दुओं के अन्य धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार यहीं भगवान राम का जन्म हुआ था।

  • १८५३ में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच इस जमीन को लेकर पहली बार विवाद हुआ।

  • ३० नवम्बर १८५८ को बाबा फकीर सिंह खालसा की अगुवाई में 25 निहंग सिखों ने बाबरी ढाँचे पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कई दिनों तक बाबरी पर कब्जा बनाए रखा था और राम नाम का पाठ किया। उन्होंने बाबरी ढाँचे पर राम नाम भी लिख दिया। [3]

  • १८५९ में अंग्रेजों ने विवाद को ध्यान में रखते हुए पूजा व नमाज के लिए मुसलमानों को अन्दर का हिस्सा और हिन्दुओं को बाहर का हिस्सा उपयोग में लाने को कहा।

  • १९४९ में अन्दर के हिस्से में भगवान राम की मूर्ति रखी गई। तनाव को बढ़ता देख सरकार ने इसके गेट में ताला लगा दिया।

  • सन् १९८६ में जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल को हिंदुओं की पूजा के लिए खोलने का आदेश दिया। मुस्लिम समुदाय ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी गठित की।

  • सन् १९८९ में विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित स्थल से सटी जमीन पर राम मंदिर की मुहिम शुरू की।

  • ६ दिसम्बर १९९२ को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराई गई। परिणामस्वरूप देशव्यापी दंगों में करीब दो हजार लोगों की जानें गईं।

  • १६ दिसम्बर १९९२ को लिब्रहान आयोग गठित किया गया। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश एम.एस. लिब्रहान को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। लिब्रहान आयोग को १६ मार्च १९९३ को यानि तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन आयोग ने रिपोर्ट देने में १७ साल लगाए।

  • १९९३ में केंद्र के इस अधिग्रहण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली। चुनौती देने वाला शख्स मोहम्मद इस्माइल फारुकी था। मगर कोर्ट ने इस चुनौती को ख़ारिज कर दिया कि केंद्र सिर्फ इस जमीन का संग्रहक है। जब मलिकाना हक़ का फैसला हो जाएगा तो मालिकों को जमीन लौटा दी जाएगी। हाल ही में केंद्र की और से दायर अर्जी इसी अतिरिक्त जमीन को लेकर है।

  • १९९६ में राम जन्मभूमि न्यास ने केंद्र सरकार से यह जमीन मांगी लेकिन मांग ठुकरा दी गयी। इसके बाद न्यास ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसे १९९७ में कोर्ट ने भी ख़ारिज कर दिया।

  • २००२ में जब गैर-विवादित जमीन पर कुछ गतिविधियां हुई तो असलम भूरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।

  • २००३ में इस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि विवादित और गैर-विवादित जमीन को अलग करके नहीं देखा जा सकता।

  • ३० जून २००९ को लिब्रहान आयोग ने चार भागों में ७०० पन्नों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को सौंपा।

  • जांच आयोग का कार्यकाल ४८ बार बढ़ाया गया।

  • ३१ मार्च २००९ को समाप्त हुए लिब्रहान आयोग का कार्यकाल को अंतिम बार तीन महीने अर्थात् ३० जून तक के लिए बढ़ा गया।

  • २०१० में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने निर्णय सुनाया जिसमें विवादित भूमि को रामजन्मभूमि घोषित किया गया। न्यायालय ने बहुमत से निर्णय दिया कि विवादित भूमि जिसे रामजन्मभूमि माना जाता रहा है, उसे हिंदू गुटों को दे दिया जाए। न्यायालय ने यह भी कहा कि वहाँ से रामलला की प्रतिमा को नहीं हटाया जाएगा। न्यायालय ने यह भी पाया कि चूंकि सीता रसोई और राम चबूतरा आदि कुछ भागों पर निर्मोही अखाड़े का भी कब्ज़ा रहा है इसलिए यह हिस्सा निर्माही अखाड़े के पास ही रहेगा। दो न्यायधीधों ने यह निर्णय भी दिया कि इस भूमि के कुछ भागों पर मुसलमान प्रार्थना करते रहे हैं इसलिए विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा मुसलमान गुटों दे दिया जाए। लेकिन हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने इस निर्णय को मानने से अस्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

  • उच्चतम न्यायालय ने ७ वर्ष बाद निर्णय लिया कि ११ अगस्त २०१७ से तीन न्यायधीशों की पीठ इस विवाद की सुनवाई प्रतिदिन करेगी। सुनवाई से ठीक पहले शिया वक्फ बोर्ड ने न्यायालय में याचिका लगाकर विवाद में पक्षकार होने का दावा किया और ७० वर्ष बाद ३० मार्च १९४६ के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जिसमें मस्जिद को सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति घोषित अर दिया गया था।[4]

  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ५ दिसंबर २०१७ से इस मामले की अंतिम सुनवाई शुरू की जाएगी।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ५ फरवरी २०१८ से इस मामले की अंतिम सुनवाई शुरू की जाएगी।

Our mission

We're on a mission to change the way the housing market works. Rather than offering one service or another, we want to combine as many and make our clients' lives easy and carefree. Our goal is to match our clients with the perfect properties that fit their tastes, needs, and budgets.

Our vision

We want to live in a world where people can buy homes that match their needs rather than having to find a compromise and settle on the second-best option. That's why we take a lot of time and care in getting to know our clients from the moment they reach out to us and ask for our help.

Our team

Our strength lies in our individuality. Set up by Esther Bryce, the team strives to bring in the best talent in various fields, from architecture to interior design and sales.

woman wearing black scoop-neck long-sleeved shirt
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Esther Bryce

Founder / Interior designer

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